Coronavirus: Supreme Court order, those who create panic by fake news will be punished – Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, फर्जी खबरों से घबराहट पैदा करने वालों को मिलेगा दंड

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Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, फर्जी खबरों से घबराहट पैदा करने वालों को मिलेगा दंड

लॉकडाउन होने के बाद पलायन करते हुए मजदूर.

खास बातें

  • कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन के पीछे फर्जी खबरों पर चिंता जताई
  • कहा- मीडिया घबराहट पैदा करने वाले असत्यापित समाचार प्रसारित न करे
  • फर्जी खबर है कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय तक रहेगा

नई दिल्ली:

Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन के पीछे फर्जी खबरों पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि फर्जी खबरों के चलते प्रवासी मजदूरों के पलायन को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हम मुख्य रूप से प्रवासी मजदूरों के कल्याण को लेकर चिंतित हैं. कोर्ट ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 54 में एक ऐसे व्यक्ति को दंडित करने का प्रावधान है जो एक झूठा अलार्म करता है या आपदा या इसकी गंभीरता या परिमाण के रूप में चेतावनी देता है, जिससे घबराहट होती है. ऐसे व्यक्ति को कारावास से दंडित किया जाएगा जो एक वर्ष तक या जुर्माना के साथ बढ़ सकता है. किसी लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेश की अवज्ञा करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडित किया जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि हम विश्वास करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस देश के सभी संबंधित अर्थात राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और नागरिक ईमानदारी से सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी निर्देशों, सलाह और आदेशों का पालन करेंगे. विशेष रूप से हम मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया) से अपेक्षा करते हैं कि वे जिम्मेदारी की एक मजबूत भावना बनाए रखें और यह सुनिश्चित करें कि घबराहट पैदा करने में सक्षम असत्यापित समाचार प्रसारित न हों.

भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा प्रस्तुत किया गया कि 24 घंटे के भीतर लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिए सोशल मीडिया और मंचों सहित सभी माध्यमों के जरिए भारत सरकार द्वारा एक दैनिक बुलेटिन जारी किया जाएगा.

29 मार्च 2020 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी परिपत्र को विभिन्न राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया गया है. भारत संघ के अनुसार बड़े पैमाने पर पलायन रुका है. सड़क पर रहने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को राहत शिविरों / आश्रय गृहों में स्थानांतरित कर दिया गया है जो प्रत्येक राज्य / केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न बिंदुओं पर स्थापित किए गए हैं. प्रवासियों को भोजन, पेयजल, दवाइयां आदि जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत संघ और राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन संबंधित जिला कलेक्टरों / मजिस्ट्रेटों द्वारा किया जा रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयस ने हाल ही में कहा- “हम सिर्फ एक महामारी से नहीं लड़ रहे हैं; हम एक इंफोडेमिक से लड़ रहे हैं. इस वायरस की तुलना में नकली समाचार तेजी से और अधिक आसानी से फैलते हैं, और यह उतना ही खतरनाक है. ”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शहरों में काम करने वाले मजदूरों के बड़ी संख्या में पलायन के पीछे फर्जी खबर हैं कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय तक जारी रहेगा. इससे उन्हें घबराहट पैदा हो गई. इस तरह के भय के चलते उनका पलायन  उन लोगों के लिए अनकही पीड़ा का कारण बन गया है जो इस तरह की खबरों पर विश्वास करते हैं और कार्य करते हैं. वास्तव में कुछ ने अपनी जान भी गंवाई है. इसलिए हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया द्वारा फर्जी खबरों के इस खतरे को नजरअंदाज करें.

कोर्ट ने कहा कि हम महामारी के बारे में स्वतंत्र चर्चा में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखते, लेकिन मीडिया को घटनाक्रम के बारे में आधिकारिक बयानों को संदर्भित करने और प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं. यह सर्वविदित है कि घबराहट मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. हमें सूचित किया गया है कि भारत सरकार  मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और उन लोगों को शांत करने की आवश्यकता के प्रति सचेत है जो दहशत की स्थिति में हैं.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रशिक्षित काउंसलर और / या समुदाय समूह के नेता और सभी धर्मों से संबंधित लोग राहत शिविरों / आश्रय घरों का दौरा करेंगे और किसी भी समस्या से जूझ रहे प्रवासियों को मदद करेंगे. यह उन सभी राहत शिविरों / आश्रय घरों में किया जाएगा जहां वे देश में स्थित हैं. 

प्रवासियों की चिंता और डर को पुलिस और अन्य अधिकारियों को समझना चाहिए. जैसा कि भारत सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है, उन्हें प्रवासियों के साथ मानवीय तरीके से व्यवहार करना चाहिए. स्थिति को देखते हुए, हमारा विचार है कि राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासियों की कल्याणकारी गतिविधियों की निगरानी के लिए पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवकों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए.हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित लोग गरीब पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की परेशानियों को समझेंगे  और उनके साथ दया का व्यवहार करेंगे.

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